समुन्द्र से जुड़े सच जो आप नहीं जानते होंगे ! जैसा की आप सभी जानते है हमारी पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से भरा हुआ है और 29 प्रतिशत हिस्से पे ही मानव रहता है तो आप सोच सकते हैं उस 71 प्रतिशत हिस्से में क्या होता होगा जिसके अंदर न ही हम कुछ देख सकते हैं और न ही हमें उसके बारे में कुछ पता है | आज हम उसी से जुड़े कुछ तथ्य आपको बताएँगे |
1. 95 प्रतिशत जीवन महासागरों में मौजूद है
जमीन पे होने वाले कार्यो की वजह स हम इस बात पे बिलकुल ध्यान नहीं देते की इन महासागरों में भी जीवन मौजूद है | एक शोध से ये पता चला है की महासागरों में 95 प्रतिशत जीवन मौजूद है और जो जीवन जमीन पे है वो इसके मुकाबले बहुत कम है |
2. शार्क्स का समुन्द्र के नीचे खुद का कैफे है जहाँ ये मिलते हैं
सन 2002 में वैज्ञानिको को प्रशांत महासागर में एक ऐसी दूरस्थ जगह की पता चला जहां पे सर्दिओ के मौसम में कोस्टल ग्रेट वाइट शार्क्स हर सीजन एक दूसरे से मिलने आती हैं | वैज्ञानिको ने उस जगह को वाइट शार्क कैफे नाम दिया है कुछ शार्क्स यहाँ पे सर्दिओं के मौसम से कुछ महीने पहले ही आजाती हैं और गर्मिओं के मौसम शुरू होने से पहले ही वापस अपने स्थलों पे लौट जाती हैं |
3. प्रशांत महासागर की चौड़ाई चाँद की चौड़ाई से ज्यादा है
इंडोनेशिया के एक कोने से लेकर कोलम्बिया तक, प्रशांत महासागर की चौड़ाई चाँद से काफी बड़ी है | इंडोनेशिया से ले के कोलंबिया तक प्रशांत महासागर की चौड़ाई 12,300 मील है जो की चाँद के व्यास से पांच गुना ज्यादा है |
4. एक आइसबर्ग से करोडो लोगो को पानी पिलाया जा सकता है
अंटार्कटिका के बड़े आइसबर्ग में 20 अरब अरब गैलन पानी मौजूद होता है जोकि की करोडो लोगो को 5 साल तक लगातार पानी मुहैया करा सकता है | हर साल सयुंक्त अरब अमीरात में 4 इंच से भी काम बारिश होती है और यहाँ आने वाले अगले 25 सालो में भयानक सूखा होने की उम्मीद है तो इसी को ध्यान में रखकर सयुंक्त अरब अमीरात की एक बड़ी कपंनी अंटार्कटिका से आइसबर्ग लाने की कोशिश कर रही है ताकि वो आइसबर्ग लाके पानी की समस्या को ख़त्म कर सकें |
5. अमेरिका का आधे से ज्यादा हिस्सा पानी के नीचे है
स.बी.स. न्यूज़ के अनुसार अमेरिका का आधे से ज्यादा राज्य पानी के नीचे मौजूद है | इसका कारण यह है की अमेरिका का राज्य की सीमा वहां ख़तम नहीं होता जहाँ जमीन है बल्कि ये समुंद्री तट से भी 200 मील और आगे तक फैला हुआ है |
6. ऐतिहासिक कलाकृति
नेशनल जेओग्रापिक चैनल के अनुसार जितनी ऐतिहासिक कलाकृतियां पृथ्वी की सतह के ऊपर पायी गयी है उस से कई गुना ज्यादा महासागरों के अंदर मौजूद हैं | उनके अनुसार वाइकिंग की धूपघड़ी जोकि उनके पुराने भगवानो को ढूंढ़ने के लिए उपयोग की गयी थी वो भी इन महासागरों की सतह में मिल सकती है | एक शोध के अनुसार अभी तक महासागरों से करोडो जहाजों के टुकड़े मिले हैं और वैज्ञानिको कहना है की अभी भी इन महासागरों में से इनके बाकि हिस्से नहीं ढूंढे जा सके हैं |
7. महासागरों में छुपे है कई सारे खजाने
एक शोध के अनुसार आपको इन महासागरों में कही में कहीं भी सोना मिल सकता है | इस शोध के अनुसार अगर इन महासागरों में से सारा सोना निकाला जाये तो पूरी दुनिआ के हर व्यक्ति को इस सोने में से 4 किलोग्राम सोना दिया जा सकता है ! इन महासागरों में 20 मिलियन टन से ज्यादा सोना मौजूद है | पहाड़ो के अंदर सोना ढूंढने से अच्छा अगर हम इन महागरो के अंदर सोना ढूंढे तो ज्यादा लाभदायक होगा पर ये संभव नहीं है क्यूंकि महासागरों से सोना निकलने के लिए कोई कम लागत का बढ़िया तरीका नहीं है |
8. महासागरों के अंदर छुपे झरने
डेनमार्क स्ट्रैट कैटरैक्ट एक झरना है जो की अटलांटिक महासागर के अंदर है इस झरने से हर वक़्त 175 मिलियन क्यूबिक गिरता रहता है वो भी 11,500 फ़ीट की उचाई से | इस झरने का निर्माण का कारण है इस झरने दोनों तरफ बहने वाले पानी के तापमान में अंतर होना | जब इस झरने के पूर्व से बहने वाला ठंडा व सघन पानी झरने के पश्चिम की तरफ से बहने वाले गरम पानी से मिलता है तो ठंडा पानी गरम पानी के निचे बहने लगता हैं ये झरना निआग्रा झरने से 2000 गुना ज्यादा पानी गिरता है |
9. महासागरों के अंदर झील व नदियां
9. महासागरों के अंदर झील व नदियां
जब महासागरों का पानी नमक की पतली परतो के अंदर रिस्ता है तो वो इसके साथ मिलके महासरो के भूतल पे गढे बना देता है और शोध के अनुसार जब पानी और नमक मिलते हैं तो नमक इस पानी को और सघन कर देता है जिस से की ये पानी इन गढो मैं बैठ जाता है इनमे से कुछ गढे बहुत बड़े होते हैं जोकि झील व नदिओं का आकार ले ते है | वैज्ञानिक इन झील व झरनो को नमकीन पानी के झरने व नदियां कहते हैं |
10. महासागरों की गहराइओ से आने वाली आवाज़ें
इन महासागरों के गहराईओं से बहुत तरह की आवाज़ें आती हैं और ये क्यों आती हैं इसका वैज्ञानिको के पास कोई जवाब नहीं है | अभी तक की सबसे तेज आवाज सन 1997 में दर्ज की गयी थी जिसे की द ब्लूप के नाम से जाना जाता है ! ये आवाज़ इतनी तेज़ थी की वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पे पहुंचे की इन में महासागरों में अभी भी बहुत से ऐसे असंख्य जीव हैं जिनहे न तो आज तक देखा गया और बहुत मुश्किल ही देख पाएंगे |
10. महासागरों की गहराइओ से आने वाली आवाज़ें
इन महासागरों के गहराईओं से बहुत तरह की आवाज़ें आती हैं और ये क्यों आती हैं इसका वैज्ञानिको के पास कोई जवाब नहीं है | अभी तक की सबसे तेज आवाज सन 1997 में दर्ज की गयी थी जिसे की द ब्लूप के नाम से जाना जाता है ! ये आवाज़ इतनी तेज़ थी की वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पे पहुंचे की इन में महासागरों में अभी भी बहुत से ऐसे असंख्य जीव हैं जिनहे न तो आज तक देखा गया और बहुत मुश्किल ही देख पाएंगे |